सरस्वती-पूजन
कर में वीणा, पुस्तक शोभे, श्वेत कमल है आसन
हँस वाहिनी मात भारती का करते हम पूजन. ||१||
हँस वाहिनी मात भारती का करते हम पूजन. ||१||
तुम मन्त्रों की जननी हो, औ तुमने जाए वेद
मुझको अपना भक्त बना लो, दे दो धी का मेद. ||२||
मिटे तिमिर अज्ञान का जिससे सबको ऐसा वर दो.
वाणी पर हो संयम हरदम रसना ऐसी कर दो. ||३||
विद्या से हों युक्त सभी और ज्ञान का हो उजियारा.
भेद भाव सारे मिट जाएँ, बने देश फिर न्यारा.||४||
ऐसी सोच सृजन कर दो माँ नहीं हो कोई झगडा.
अर्थ, कला या क्षेत्र हो कोई, अपना देश हो अगड़ा. ||५||
सबका मन निर्मल हो जाए, बहे प्रेम की गंगा.
निज-सा सबको जाने सब बस ना हो मानव नंगा. ||६||
सारे दुर्गुण दूर करो औ घट में भर दो अमृत
रक्त-पिपासू सब मर जाएँ, हो मानवता जीवित. ||७||
रोग, ताप, संताप ना व्यापे पेट रहे ना खाली.
मन में हो आनद सभी के और मुखों पे लाली. ||८||
अगर नहीं ये सब हो संभव बस इतना कर माता.
तेरा मेरा ख़तम करो, हो सबका सब से नाता. ||९||
आप सब को वसंत पंचमी की बहुत बहुत शुभकामना।
राजेश कुमार "नचिकेता"
ऐसी सोच सृजन कर दो माँ नहीं हो कोई झगडा.
अर्थ, कला या क्षेत्र हो कोई, अपना देश हो अगड़ा. ||५||
सबका मन निर्मल हो जाए, बहे प्रेम की गंगा.
निज-सा सबको जाने सब बस ना हो मानव नंगा. ||६||
सारे दुर्गुण दूर करो औ घट में भर दो अमृत
रक्त-पिपासू सब मर जाएँ, हो मानवता जीवित. ||७||
रोग, ताप, संताप ना व्यापे पेट रहे ना खाली.
मन में हो आनद सभी के और मुखों पे लाली. ||८||
अगर नहीं ये सब हो संभव बस इतना कर माता.
तेरा मेरा ख़तम करो, हो सबका सब से नाता. ||९||
आप सब को वसंत पंचमी की बहुत बहुत शुभकामना।
राजेश कुमार "नचिकेता"
माँ सरस्वती का वरद हस्त आप पर है, आप सदा सबसे प्रसन्न बने रहें।
ReplyDeletebadi hi bhavya rachna hai..., aapko bhi basant panchmi ki dher saari shubkaamnayen "nachiketa" ji
ReplyDeleterchna bhut achhi hai, aapko basant panchmi ki badhai...
ReplyDeletebahut sundar rachana hai ye bahut pasand aayi...
ReplyDeleteमां सरस्वती की अर्चना में लिखी गई यह रचना मन में भक्तिभाव जगाने वाली है।
ReplyDeleteइस सुंदर वंदना के लिए साधुवाद।
मां सरस्वती की कृपा आप के साथ हम सब पर भी बनी रहे ....
ReplyDeleteमाता शारदे की वंदना में आपकी यह रचना, आपपर माता के आशीष का प्रमाण है!!
ReplyDeleteमाँ सरस्वती की बेहतरीन वंदना ।
ReplyDeleteआभार राजेश जी।
@प्रवीण जी,
ReplyDelete@आशुतोष भाई
@ कपिल भाई
@अमरनाथ साहब
आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद
@महेंद्र साहब: आपका बहुत स्वागत और धन्यवाद
ReplyDelete@निवेदिता जी, ससिल जी, और दिव्या जी, मेरी भी यही कामना है....
आने और टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद.
बहुत अच्छी रचना है. बधाई...
ReplyDeleteबहुत सुंदर स्तुति है माँ शारदे की ..... आपको भी बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें ......
ReplyDeleteमाँ सरस्वती की बेहतरीन वंदना|
ReplyDeleteबसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें|
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .अच्छा लगा....
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें..
ReplyDeletekhoosoorat rachna..
MAA SARSWATI aapki(hamari bhi)jitani bhi manokamnaayen hain,poori karen.......
माँ सरस्वती का नचिकेता सा आह्वान दूजा भला करे कौन ? माँ सरस्वती आप पर ऐसे ही कृपालु बनी रहें
ReplyDeleteमाँ सरस्वती की बेहतरीन वंदना ।
ReplyDeleteआभार राजेश जी।
बसंत पंचमी के अवसर में मेरी शुभकामना है की आपकी कलम में माँ शारदे ऐसे ही ताकत दे...:)
ReplyDeleteकर में वीणा, पुस्तक शोभे, श्वेत कमल है आसन
ReplyDeleteहँस वाहिनी मात भारती का करते हम पूजन.
यह मधुर शारदा वंदना गुनगुनाने लायक है ! शुभकामनायें आपको !
maa sarswati ki bahut sunder aradhna hai....
ReplyDeleterajes ji itne ache bloger mitr se koi naraj kaise ho skta hai bhala.meri rachna ko itne barikise padhte hai. bahut abhar. aapko bhi anek subhkamnaye...
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete---------
समाधि द्वारा सिद्ध ज्ञान।
प्रकृति की सूक्ष्म हलचलों के विशेषज्ञ पशु-पक्षी।
@राजीव जी, आपका स्वागत और धन्यवाद.
ReplyDelete@मोनिका जी,
@जोशी जी
@अमृता जी,
@पूनम जी
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
@अरविन्द जी, इतने सुन्दर बोलों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. और आपका मार्गदर्शन मिलता रहेगा ऐसी आशा है.
ReplyDelete@संजय जी,
@सतीश साहब...आपको पुनः देख कर मन गदगद हो गया. बहुत बहुत धन्यवाद. प्रेम व् स्नेह बनाए रखें.
@सुमन जी, जान कर अच्छा लगा की आपके स्नेह का पत्र मैं अभी भी हूँ....
ReplyDelete@रजनीश जी, बहुत बहुत धन्यवाद
अच्छी रचना है। बुद्धि ही सब करा रही है,इसलिए सरस्वती-आराधना ही उचित।
ReplyDeletebahut hi khoobsurat vandana ,man ko bha gayi ,basant panchami w sarswati poojan ki badhai .
ReplyDeleteवासंती रंगो-महक में डूबी सुन्दर रचना.
ReplyDeleteनचिकेता जी!
ReplyDeleteआपकी रचना आपके नाम को चरितार्थ करती है। वस्तुतः वैदग्ध्य किसी-किसी में बसता है..................................ज्ञान की ही महिमा है सर्वत्र।
एक निवेदन-मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
@कुमार राधारमण साहब
ReplyDelete@कुंवर साहब
@ ज्योति जी..
बहुत बहुत धन्यवाद...
डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर किया पौधारोपण
ReplyDeleteडॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर तुलसी एवं गुलाब का रोपण किया है। उनका यह महत्त्वपूर्ण योगदान उनके प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता एवं समर्पण को दर्शाता है। वे एक सक्रिय ब्लॉग लेखिका, एक डॉक्टर, के साथ- साथ प्रकृति-संरक्षण के पुनीत कार्य के प्रति भी समर्पित हैं।
“वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर” एवं पूरे ब्लॉग परिवार की ओर से दिव्या जी एवं समीर जीको स्वाभिमान, सुख, शान्ति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के पञ्चामृत से पूरित मधुर एवं प्रेममय वैवाहिक जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें।
आप भी इस पावन कार्य में अपना सहयोग दें।
http://vriksharopan.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
सुंदर भावाभिव्यक्ति.....वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteनमस्कार, मालूम नहीं आपको क्या संबोधित करू.
ReplyDeleteमैं जब पूर्णिया (भारत) में था तब बागवानी किया करता था...अभी अभी भी हमारे घर में सभी सदस्यों द्वारा लगाये हुए पेड़ हैं जिनमे आम, लीची, कटहल, अमरुद, आंवला, नीम्बू, अनार, बेल, euceliptus , दालचीनी, तेज पत्ता इत्यादि. मगर दिल्ली जाने के बाद ये नहीं हो पाया.
अब जब मैं edmonton (Canada) में हूँ तो पिछले साल, पालक और dahliya के पौधे लगाए थे. इस साल भी जब बरफ पिघल जायेगी तो फिर से ये पौधे लगाऊंगा. पिछले साल लहसून के पढ़े और BASIL भी लगाया था....
आपका धन्यवाद. इस सुन्दर मुहिम के लिए.....
प्रणाम.
@शरद जी. बहुत बहुत धन्यवाद.
maa ki vandna se man abhibhut ho gaya ../
ReplyDeletekabhi mere blog par bhi aaye
सुंदर सरस्वती वंदना। बहुत बधाई।
ReplyDeleteमाँ सरस्वती की बेहतरीन वंदना|
ReplyDeleteहेप्पी वेलन्टाईन डे की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDelete@बबन जी,
ReplyDelete@देवेन्द्र जी,
@सोनू जी,,
आप सब का स्वागत और धन्यवाद.
@सोनू जी,,
ReplyDeleteअरे साहब एक दिन के valentine
की क्या बात की जाए....अपने यहाँ तो पूरा फागुन ही प्रेम को समर्पित है....
आपकी कविउता अच्छी लगी...
मां सरस्वती की अर्चना में लिखी गई यह रचना मन में भक्तिभाव जगाने वाली है।
ReplyDeleteइस सुंदर वंदना के लिए साधुवाद।
शिव कुमार जी....आपका बहुत बहुत धन्यवाद..समय निकालने के लिए...
ReplyDeleteराजेश जी ,अभी अभी आपके ब्लॉग पर पहुंचा हूँ.माँ शारदा की वंदना पढ़ के मन खुश हो गया.कर्म और श्री राम भी पढ़े.दिल को बहुत चैन मिला.समय मिलते ही आपकी सारी पोस्टें पढ़ डालूँगा.अध्यात्म पथ का अभिलाषी हूँ.उम्मीद है आपकी रचनाएँ मुझे निराश नहीं करेंगी.
ReplyDeleteआपकी कलम को ढेरों शुभ कामनाएं.
विलंबित किन्तु ह्रदय से ये शुभकामना करता हूँ की सरस्वती यूँ ही आपके हाथो से रसधार बहती रहे .
ReplyDelete@sagebob, आपका स्नेह रहा तो कुछ जरूर लिखने की कोशिश करूंगा..कुछ ऐसा जो सबको अच्छा लगे....
ReplyDeleteआपका साथ रहा तो निराशा नहीं होगी....मुझसे जुड़ने के लिए धन्यवाद.
@गिरिधारी जी, आप आये यही बहुत था मेरे लिए...टिप्पणी दी तो मैं गदगद हूँ..आपका धन्यवाद.