Friday, December 31, 2010

श्री राम

काम की व्यस्तता के कारण बहुत दिन बाद लिख रहा हूँ तो सोचा क्यों ना नए साल की शुरुआत भगवान से आशीर्वाद ले कर की जाए। सब को नए साल की बधाई


श्री राम

जिसके साँसों में बसे, चार वेद, सब ग्रन्थ
वही श्रृष्टि का आदि है, वही श्रृष्टि का अंत. ||||

रूद्र, विधि इन्द्र भी भजते जिनके नाम
निर्गुण में वो ब्रह्म है , वही सगुन में "राम" ||||

है विस्तृत ब्रह्माण्ड सा और लघु ज्यों बिंदु
तू बसता है बूँद में तुझमे बसता सिन्धु. ||||

तुम भक्तों के प्राण हो, भक्त तुम्हारे प्राण
एक-दूजे में हो बसे जैसे तुम-हनुमान.||||

जिसकी भक्ति पा हुए, सबरी, गिद्ध निहाल
मुझपर भी जो हो कृपा, हो जाऊं मालामाल ||||

छीर-सिन्धु विष्णु बसें, मृत्युंजय कैलास.
ब्रह्मलोक ब्रह्मा बसें, राम बसो मम पास. ||||

मिथि के कुल के शिरोमणि की तनया की सास
ता के सुत आकर करो मोरे उर में बास ||||

हर-सुत वाहन* के रिपु बनते जिनके हार.
ता दारा-सखी के पति रहो हमारे द्वार.||||

ज्यों बध दसमुख बालि को, बधो हमारो पाप
हरो सकल संताप जस काटा ऋषितिय शाप. ||||

राजेश कुमार "नचिकेता"

* यहाँ हर-सुत का मतलब कार्तिकेय माना जाये जिनके वाहन मोर हैं.

Saturday, December 4, 2010

क्या बात हो!


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क्या बात हो!

एक छत
दो रोटी
के संग थोड़ा वसन भी हो
तो क्या बात हो!!

युवाओं में टशन हो
टीनेजर में फैशन हो
संग सुसंस्कारी मन भी हो
तो क्या बात हो!!

एक सर्प एक मयूर
रहे सदा जिसमे संग-संग
ऐसा कोई सदन भी हो
तो क्या बात हो!!!!

दिवाली पे
सजा करे अट्टालिकाएं जरूर
मगर गरीब का भी घर हो रौशन
तो क्या बात हो!!!

नहीं गुरेज़ तम के वजूद से हमें
भर सके जो दीपक को नेह से
वो बरसाने वाला कोई घन भी हो
तो क्या बात हो!!

हवा,
उड़ा देती है तृण औ गर्द को
दुर्गुणों को उड़ाने की हो ताक़त जिसमे
ऐसा कोई पवन भी हो
तो क्या बात हो!!

प्रान्त हो भाषा भी हो
हो अनेकता भले ही
अखंड एक अपना
वतन भी हो
तो क्या बात हो!!

राम, रहीम, ईशा, गुरु
सब रहें मगर "नचिकेता"
हो मानवता के भी दर्शन
तो क्या बात हो!!!

राजेश कुमार "नचिकेता"