श्री राम
जिसके साँसों में बसे, चार वेद, सब ग्रन्थ
वही श्रृष्टि का आदि है, वही श्रृष्टि का अंत. ||१||
रूद्र, विधि औ इन्द्र भी भजते जिनके नाम
निर्गुण में वो ब्रह्म है , वही सगुन में "राम" ||२||
है विस्तृत ब्रह्माण्ड सा और लघु ज्यों बिंदु
तू बसता है बूँद में तुझमे बसता सिन्धु. ||३||
तुम भक्तों के प्राण हो, भक्त तुम्हारे प्राण
एक-दूजे में हो बसे जैसे तुम-हनुमान.||४||
जिसकी भक्ति पा हुए, सबरी, गिद्ध निहाल
मुझपर भी जो हो कृपा, हो जाऊं मालामाल ||५||
छीर-सिन्धु विष्णु बसें, मृत्युंजय कैलास.
ब्रह्मलोक ब्रह्मा बसें, राम बसो मम पास. ||६||
मिथि के कुल के शिरोमणि की तनया की सास
ता के सुत आकर करो मोरे उर में बास ||७||
हर-सुत वाहन* के रिपु बनते जिनके हार.
ता दारा-सखी के पति रहो हमारे द्वार.||८||
ज्यों बध दसमुख बालि को, बधो हमारो पाप
हरो सकल संताप जस काटा ऋषितिय शाप. ||९||
राजेश कुमार "नचिकेता"
* यहाँ हर-सुत का मतलब कार्तिकेय माना जाये जिनके वाहन मोर हैं.
सुंदर प्रस्तुति. .......... नये वर्ष की शुभकामनाये.
ReplyDeletejai sri raam
ReplyDeleteजय श्रीराम. नववर्ष की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत अच्छा किया आपने, ईश्वर का आशीर्वाद आप पर सदा बना रहे!!
ReplyDeletebahut sundar vikhyan hai ............
ReplyDeleteबड़ी सरल प्यारी प्रार्थना ...हाथ जोड़ कर खड़ा हूँ ...
ReplyDeleteशुभकामनायें नचिकेता !
प्रभावशील हो यार !
नए साल की हार्दिक शुभकामनायें.
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ReplyDeleteतुलसी राम के दास बने
ReplyDeleteकबीर रचय बयाह
तुमने कैसी प्रीत लगाई
नाचिकेता दियो बताय !!
आप सभी का बहुत बहुत आभार. सतीश सक्सेना, भूषन जी, उपेन्द्रजी, सलिल जी और कुंवर जी का विशेष स्नेह मुझे मिलता है. अपने आप को कृतार्थ मानता हूँ.
ReplyDeleteमेरे मित्र जैसे आशु और कपिल, मेरे बहुत बड़े संबल हैं.
@सुमन: आपके प्रश्न का उत्तर दे रहा हूँ.
"ऐसी प्रीती चाहता मैं "नचिकेता" दीन
राम मेरे पानी बने मैं बन जाऊं मीन."
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ReplyDeleteराजेश जी ,
नव वर्ष में इतनी सुन्दर रचना की ही अपेक्षा थी आपसे। इश्वर ही तो भव-सागर पार लगाते हैं। इसलिए उनके चरण कमलों की वंदना के साथ इस नए वर्ष की सार्थक शुरुवात के लिए बधाई।
नव वर्ष में आपको , आपके परिवार को एवं आपके सभी मित्रों को शुभकामनाएं।
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एक बेहतरीन रचना । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।
ReplyDeleteकाबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
बेहतरीन अनूठी कल्पना भावाव्यक्ति ।
सुन्दर भावाव्यक्ति । साधुवाद ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
Hi Rajesh,
ReplyDeleteAap Canada me ho ke bhi Hindi me likh rahe hain ye sarahniya hai. Aapka doosra blog bhi ek achcha effort hai...par I think ydi aap use bhi Hindi me banate to jyada logo ki help hoti kyonki English me to aap jo bhi Inventions/Research share karenge wo already aur bhi websites par available hogi.Thanks
Aur haan ... I like it that "You are amongst the happiest people under the Sun"...from today you know one more.:)
ReplyDeleteदशरथ सुत राम ने
ReplyDeleteरावण कियो उद्धार
जो राम ते बलवान हो
है आज रावण क्यों इतने
@ दिव्याजी, टिप्पणी के लिए धन्यवाद. सारी रचनाये आप जैसे शुभेच्छुओं के कारण संभवा है.
ReplyDelete@राजीव साहब, आपके ब्लॉग पर मुझे काफी कुछ सीखने को मिलेगा. और आपसे चर्चा भी करूंगा. और मुझे लगता है कई प्रश्नों के उत्तर भी मिलेंगे.
@ गोपाल जी, बहुत गद्देदार बिस्तर पर सोने में आनंद तो अता है. लेकिन जो सुकून माँ की गोद में अता है वही आनंद विज्ञान के बाद साहित्य में और ख़ास कर हिंदी साहित्य में आता है.
एक बात और, मज़ा आया एक खुश जोडीदार पाकर. उम्मीद करता हूँ सारे लोग सुखी हों. टिप्पणी के लिए धन्यवाद. प्रेम बनाए रखे.
विज्ञान वाला ब्लॉग का मैं स्वामी नहीं हूँ. मैं एक योगदान करता हूँ. मेरे विचार से आपको ये पसंद आयेगा. http://kyonorkaise.blogspot.com/
@सुमन के प्रश्न का उत्तर भी देने की कोशिश कर रहा हूँ.
"इतने रावण दीखते, है कलियुग की रीत
पल में लुप्त हो जाएंगे, लेसो श्रद्धा दीप."
हृदयस्पर्शी और सुंदर रचना ..... नववर्ष मंगलमय हो.....
ReplyDeleteजय श्री राम ... बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ... साल की शुरुआत इससे अच्छी नहीं हो सकती ...
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ..
ReplyDeleteधन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए
ReplyDeletebahut sunder.
ReplyDeleteनचिकेता जी अपने रामोदर को तो सारी उम्र का हिसाब गणतीय विधि से समझा दिया है और साथ में घोटाले का भी पदासन "त्याग" के पद पर करा दिया TIPANI GALAT JAGAH PAR PAST KI HAI MAFI CHAHTA HUN
ReplyDeleteएक ही शब्द है मेरे पास......
ReplyDeleteवाह...
सुंदर ....रचना... वाह...
ReplyDeleteकभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें .
वाह मित्र आपने मेरे अराध्य का इतना सुंदर चित्रण किया है क्या कहूं....बस नतमस्तक हूं......आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा....एक गुजारिश है...मां के आंचल में अक्सर आकर सुकुन की नींद लेने की कोशिश करें.....उम्मीद है कि आप मेरी गुजारिश ठुकराएंगे नहीं....
ReplyDelete@ शेखर जी, शिवाजी, मोनिकाजी, क्षितिजा जी, संजय साहब एवं मृदुलाजी, बहुत बहुत धन्यवाद सराहना के लिए.
ReplyDelete@ गिरिधारी जी, मैं मानता हूँ की महत्वा टिपण्णी का है न की स्थान का. आपके बहुमूल्य समय और टिपण्णी के लिए धन्यवाद.
@ boletobindas जान कर बहुत खुशी हुई की मर्यादापुरुषोत्तम आपके भी आराध्य हैं. बहुत अच्छा लगा. दिव्या जी के blog पर चर्चा के बाद आप जैसा शुभचिंतक मिला उस बात की ख़ुशी है.
आपका उत्तर पढ़ा, सुखद लगा की हम दोनों ने एक दूसरे की बातों को काफी अच्छे से समझा.
उम्मीद है हम दोनों का संवाद जारी रहेगा.
आप सब को मकर संक्रांति की शुभकामना
नचिकेता जी आपने आपकी ही टिप्पणी को उद्धरित किया था। विज्ञान में काम करने के बाद साहित्य में लिखना वो भी हिंदी साहित्य में..मां की गोद का सुकुन देता है..इसलिए कहा मां के आंचल में अक्सर आते रहिए यानि की लिखते और पढ़ते रहिए हिंदी साहित्य....
ReplyDeleteयाद दिलाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. जरूर आऊँगा नहीं तो और कहाँ जाऊंगा.
ReplyDeleteआपसे बात-चीत करके बहुत अच्छा लगा.
सब का धन्यवाद...
Bahut acche rajesh.....likhte raho yun hi aur share karte raho....:)
ReplyDeleteAadhipatya toh uska chale, jo ho sabdon se veer,
Shabd kaam jo kar jayen, kar sake na tarkash teer!!
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ReplyDeleteRajesh ji ,
Your new post is awaited.
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* जय श्रीराम ! *
ReplyDeleteप्रिय बंधुवर राजेश कुमार "नचिकेता" जी
आपके लेखन में तो भक्तिकाल की पावन उपस्थिति साक्षात् दृष्टिगत है । मन को बहुत शांति और संतुष्टि का अनुभव हुआ दोहे पढ़ते हुए …
सुमनजी और आपका दोहा वार्तालाप भी बहुत भाया … ।
~*~ हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
bahut achhi rachna. mere blog par ane ka aabhar.........
ReplyDeleteअति सुंदर दोहे, सार्थक संदेश, नववर्ष की शुभकामनाएं।
ReplyDelete---------
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
@ अमित साहब , सुमन जी और रजनीश जी. बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDelete@ राजेन्द्र जी, सराहना के लिए धन्यवाद. सुमन श्रिष्टी से वार्तालाप यु ही चल पडी. सुमन मुझे कुछ समस्यापूर्ति से सम्बंधित बात सिखाना चाहती है. वैसे मैंने उससे काफी कुछ सीखा है. वो अभी हिन्दी में स्नाकत्तोतर के छात्रा है. उससे बात करके बहुत अच्छा लगता है. आपकी टिप्पणी उसकी रचना पर पढी...
आपका बहुत बहुत धन्यवाद...
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति| धन्यवाद|
ReplyDeleteजोशी जी (पाटली), उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत धन्यावाद. आपकी कहानियां बहुत अच्छी हैं....
ReplyDeleteperfect....
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