Tuesday, February 4, 2014

विडम्बना


मथा जो दोस्ती को तो नेह मलाई निकली 
किया बुरा तुमने जहाँ जहां वहाँ भी मेरी भलाई निकली 

हाथों  में मशालों वाले बेक़सूर थे जांच में 
आग बुझाने वालों की जेब से दियासलाई निकली

मैंने औरों से शिकायत करना छोड़ दिया जबसे 
रंगे हाथों जिसे पकड़ा वो मेरी ही परछाईं निकली

                                                        "नचिकेता "

1 comment:

  1. badhiya... kidhar ho ajkal rajesh bhai?
    aap to mere shaher mein the na? Indore? :)

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