Friday, July 2, 2010

रामोदार

आगे की पोस्ट लिखने से पहले मैं अपने एक किरदार से आपका परिचय करा दूं. नाम तो उसका कुछ भी हो सकता है पर मैंने नाम रखा है "रामोदार". रामोदार ही क्यों फिर कभी बताऊँगा. पहले परिचय करा दूं. रामोदार अपने अब तक के जीवन में बस एक बार स्कूल गया था जब भागलपुर जिले के खरीक गाँव का मध्य विद्यालय उसके गाँव के लोगो के लिए बाढ़ की विभीषिका से बचने की शरणस्थली बना था. उसके अलावा कभी गाय भैंस चराने भी स्कूल जाना नहीं हुआ पढ़ाई करने का तो सोचना ही क्या. देखने में वो प्रेमचंद के हल्कू जैसा या फिर झूरी जैसा होगा ऐसा मान सकते हैं. बोलने का अंदाज़ बिलकुल ठेठ मगर आत्मविश्वास और शाहस से भरा हुआ क्योकि अपने देश में गरीब में आत्मविश्वास का होना अपने आप में बहुत बड़े शाहस की बात है. जो कपडे वो पहनता था वो इतने मलिन होते थे की कोई यकीन नहीं कर सकता की कभी वो नए भी रहे होंगे. कपडे वो कभी साफ़ नहीं करता था क्योकि उसकी आस्था थी की कपडे तब तक "नए" बने रहते हैं जब तक धुले ना जाए. यह पूछने पर की वो कपड़ो को कभी साफ़ क्यों नहीं करता बड़े ही सादगी से कहता था "कपड़ा धोने से पुरना हो जाता है इसलिए हम धोयबे नै करते हैं". कपडे को नित्य नवीन रखने का यह नूतन प्रयोग मुझे अद्भुत लगा. रामोदार ने कभी किसी भी काम के लिए किसी को मना नहीं किया होगा. उसके जीवन में कितनी परेशानिया थी इस बात से पता चलता है की वह ११ बच्चो का पिता था जिसमे से ६ जीवित हैं. बावजूद इसके उसके चेहरे से मुस्कराहट कभी हटती नहीं थी. इतनी निर्धनता में भी हसने वाले उस जीवट को देखकर सही में यकीन करना पड़ता था की मनुष्य ही ईश्वर की बनाई हुई सर्वोत्तम रचना है. उसका तकिया-कलाम था "बाकी ठिक्के है!!!". मुझे उससे एक बार की बात याद आती है जो आपको बताना चाहूँगा. एक बार दूर से उसे देखा तो उसका चेहरा कुछ रुआंसा सा लगा मगर जैसे मैंने नाम ले कर पुकारा तो वही साश्वत मुसकुराह लिए उत्तर आया "जै हो". मैंने पूछा: "क्या हाल है हो रामोदार? बोला "ऊ हमरी छौ मैहना का गाभिन गैया को कुतवा काट लिया था ना उसी को असाम रोठ पर फेकने गिये थे. बाकी ठिक्के है." यहाँ आपको ये बताना जरूरी समझता हूँ कि अपनी गाय के मरने पर सहजता का भाव उसकी अपने पशु के प्रति उदासीनता के कारण नहीं बल्कि उसकी सहनशीलता के कारण था. इतने अभाव के बीच भी प्रसन्न रहना वो जानता था.
यह किरदार हम सब को काफी कुछ सिखाएगा और जीवन के प्रति हमारी आस्था को प्रगाढ़ करेगा ऐसी उम्मीद करता हूँ. हर हफ्ते इस किरदार को केंद्र में रखकर कुछ समकालीन समस्याओ पर व्यंग्य लिखने कि कोशिश करूंगा. आपका प्यार चाहूँगा.
-नचिकेता

1 comment:

  1. bahut sahi tareeke se bhait karaai hai Ramodaar se...dekhate hai aage kya hota hai..
    i m really excited :-)

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